सुकून
ये सुकून क्या है?
वो मेरा साथी
जिसे में कही खो बैठी थी -
दूर कही |
बिन सुकून के जीना तो
मैं जैसे भूल ही गई |
लम्हा लम्हा मैं तरसती
रही और बिखरती रही -
उसे सुकून के बिना |
आईना देखती तो नजर भर
ही में आंखे छलक जाती |
एक झलक को तरस कर
रह गई मेरी उम्मीदें |
फिर भी हर बार समेटा
और चली जाती उस
सुकून की तलाश में |
सुकून भी हुआ बेबस
और आया फिर मेरी और |
उस पल जब मिला मुझे
सुकून - लहर सी दौड़ गई
उमंगो की |
बस मांग लिया सुकून
जो समा गया और जिसमें
मैं हो गई लीन |