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Tuesday, 14 May 2024

 सुकून


ये सुकून क्या है?

वो मेरा साथी

जिसे में कही खो बैठी थी - 

दूर कही |


 बिन सुकून के जीना तो

 मैं जैसे भूल ही गई |

 लम्हा लम्हा मैं तरसती

 रही और बिखरती रही - 

 उसे सुकून के बिना |


आईना देखती तो नजर भर

 ही में आंखे छलक जाती |

एक झलक को तरस कर 

रह गई मेरी उम्मीदें |


फिर भी हर बार समेटा

और चली जाती उस

 सुकून की तलाश में |


सुकून भी हुआ बेबस 

और आया फिर मेरी और |


उस पल जब मिला मुझे 

सुकून - लहर सी दौड़ गई 

उमंगो की |


बस मांग लिया सुकून 

जो समा गया और जिसमें 

 मैं हो गई लीन |